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उ0प्र0 गोशाला अधिनियम 1964 उत्तर प्रदेश में गोशालाओं के अपेक्षाकृत अच्छे प्रबन्ध तथा नियंत्रण की व्यवस्था के लिए विख्यापित किया गया है। इसका प्रसार समस्त उत्तर प्रदेश राज्य में है। इस अधिनियम के अनुसार “गोशाला ऐसी धर्मार्थ संस्था है जो गोवंशीय पशुओं को रखने, उनका अभिजनन, पालन या भरण-पोषण करने के प्रयोजन के अथवा दुर्बल, बूढ़े, असक्त या रोगी पशुओं को भर्ती व प्रस्तुत करने और उपका उपचार करने के प्रयोजन के लिये स्थापित की जाती है।इन गोशालाओं में पुलिस प्रशासन से सुपुर्दगी में प्राप्त एवं अन्य स्रोतो से प्राप्त छुट्टा गोवंश रखे जा सकते है। इनकी स्थापना स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से स्वयं के संसाधनों द्वारा की जाती है। अधिनियम में उल्लिखित धारा-04 के उपबन्धों के अनुसार न्यासी द्वारा विवरण-पत्र प्रस्तुत करने पर गोशाला का नियमानुसार निबन्धन/पंजीयन होता है। प्रदेश गोशाला रजिस्टर में गोशाला का पंजीकरण दर्ज किया जाता है। उक्त अधिनियम अन्तर्गत वर्तमान में प्रदेश में कुल 498 गोशालायें पंजीकृत है। निदेशक द्वारा राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से गोशाला में अभिजनन के लिये कुशल प्राविधिक प्रबन्धन, सांडों का अभिजनन के प्रयोजनों के लिये गोशाला से किसी अन्य स्थान को परिवहन, गोशाला में अभिजनन संबंधी अभिलेखों, अभिजनन के प्रयोजनों के लिये नर व मादा पशुओं का पृथक्करण व गोशाला में पशु की चिकित्सा और निरीक्षण हेतु विनियमन किया जा सकता है।